|
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं...
याद हैं तेरी वो 4 की सिटी, हर रोज मेरे सपने तोड़ मुझे जगाती थी.
अब तो रात गुजर जाती हैं खुलीं आँखों मे, सपने अब भी हैं पर नींद कहाँ आती हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
याद हैं तेरे वो पोहे और पूरी कि लाइने, जिसके लिए हम दुबारा भी लड़ जाते थे.
अब तो बेहिसाब हैं खाने को हमें, पर ना जाने हम क्यों भूखे ही रह जाते हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
याद हैं तेरी घंटो की पढ़ाई, जिससे बचने अक्सर मेडिकल रूम मे पाए जाते थे.
अब तो रट ली हैं सैकड़ो किताबें, पर तेरे क्लास की बेंचे अब भी मुझे बुलाती हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
वो लड़कपन का प्यार भी तो यहीं मिला था, जिससे अक्सर छुप छुप हमने नजरें मिलायी थी.
अब तो कितने डेटिंग एप्प हैं यहाँ, पर वो निश्छल और मासूम आंखे कहाँ मिल पाती हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
वो छोटे छोटे निक्करो मे कितनी दौड़ लगायी हैं, और पेट पकड़ कितनी दफा बीमारी के नखरे दिखाए हैं.
अब तो दूर निकल आये हैं जिंदगी की दौड़ मे, पर शिकायते हमारी कहाँ कोई सुन पाता हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
याद हैं तेरी खातिर हम जान लगा देते थे, जीतने को तेरे नाम की ट्रॉफी हर दावं लगा देते थे.
अब तो बड़ी जीत भी फीकी ही लगती हैं, कि कहाँ कोई अब मिलके जश्न मनाता हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
याद हैं हमारे हाउस मे कितनी तनातनी थी, कभी मैं हार रो पड़ता था तो कभी तुझको रुला जाता था.
अब कहाँ रह गयी वो दुश्मनी नवोदय की, अब तो नाम सुन किसी नवोदयन का हम दौड़ भाग के आते है।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
उन चार दीवारों मे आजादी के कितने विद्रोह हुए, जो अक्सर हाउस मास्टर के आने पे दमन हो जाते थे.
अब तो रोज़ दुआ करते हैं खुदा से, कि कैद करलो वापस हमें हम हाथों मे खुद ज़ंज़ीर लिए बैठे हैं।
नवोदय तेरी याद बड़ा सताती हैं..
Categories: Voice of Navodayans, Its About Me
The words you entered did not match the given text. Please try again.
Oops!
Oops, you forgot something.